Gurpurab 2020 Special- सिख धर्म के साथ-साथ पूरे विश्व में सच्चाई की लहर लाने वाले प्रथम गुरु नानक देव जी की आज 551वीं जयंती है। गुरु नानक जयंती को मनाने के लिए आज देश भर के हर गुरुद्वारों में शबद कीर्तन के साथ-साथ विशेष दीवान सजाए जाएंगे। वही कोरोना के हालातों को देखते हुए सभी गुरुद्वारों का लाइव टेलीकास्ट किया जाएगा जिससे सभी श्रद्धालु अपने घर से ही ऑनलाइन माध्यम से जुड़ सकें।
गुरु नानक देव पृथ्वी पर एक वहुत ही पवित्र आत्मा वाले थे, जिसने अपने पूरा जीवन सिर्फ लोगो के भलाई में ही लगा दिया। जी हां गुरुनानक देव जी हमेशा अपने प्रवचनों में जातिवाद को मिटाने, सत्य के मार्ग पर चलने के उपदेश दिए हैं। ऐसे में हम आपको गुरु नानक देव जी के जीवन से जुड़े ऐसे अनमोल दोहे साझा करने जा रहे है। जो मुर्दा शरीर में भी जान फुकने की तागत रखते है।
गुरु नानक देव जी के दोहे
नानक देव दोहा (Nanak Dev Dohe) : 1 – “थापिआ न जाइ कीता न होइ। आपे आपि निरंजनु सोइ”।
हिंदी अर्थ- गुरु नानक देव जी कहते है, कि भगवान अजन्मा निराकार मायातीत अटल सिद्धस्वरूप अनादि एवं अनन्त हैं।
नानक देव दोहा (Nanak Dev Dohe) : 2- “गावीऐ सुणीऐ मनि रखीऐ भाउ। दुखु परहरि सुखु घरि लै जाइ”।
हिंदी अर्थ- जिसने प्रभु की सेवा की उसे सर्वोत्तम प्रतिश्ठा मिली। इसीलिये उसके गुणों का गायन करना चाहिये-ऐसा गुरू नानक का मत है।
नानक देव दोहा (Nanak Dev Dohe) : 3 “गुरा इक देहि बुझाई। सभना जीआ का इकु दाता सो मैं विसरि न जाई”।
हिंदी अर्थ- गुरु नानक देव जी कहते है, कि उसके गुणों का गीत गाने सुनने एवं मन में भाव रखने से समस्त दुखों का नाश एवं अनन्य सुखों का भण्डार प्राप्त होता है।
नानक देव दोहा (Nanak Dev Dohe) : 4 “जेती सिरठि उपाई वेखा विणु करमा कि मिलै लई”।
हिंदी अर्थ- संसार में हमारे कर्मों के अनुसार हीं हमें मिलता है। कुछ भी हासिल करने के लिये हमें कर्म करना पड़ता है। तब प्रभु की प्राप्ति बिना कर्म के कैसे संभव है। किन्तु किसी भौतिक वस्तु को प्राप्त करने की मनोकामना से किये गये कर्म ब्यर्थ हैं।
नानक देव दोहा (Nanak Dev Dohe) : 5 “ऐसा नामु निरंजनु होइ। जे को मंनि जाणै मनि कोइ”।
हिंदी अर्थ- प्रभु नाम के सुमिरण मनन करने का महत्व तो केवल वही आदमी जान समझ सकता है। दूसरा कोई मनुश्य उसका वर्णन नही कर सकता है।
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