आखिर कौन है ग्रेटा थनबर्ग? – हमारे देश में किसानों के कंधे पर रखकर बंदूक चलाते हुए लोग अब साफ दिखाई देने लगे हैं इन्हीं लोगों ने किसान के मुद्दों को अब एक अंतरराष्ट्रीय एजेंडा का रुख दे दिया है। जी हां पर्यावरण को सुधारने की दिशा में काम करने वाली ग्रेटा थनबर्ग जो इन दिनों किसानों को लेकर किए गए अपने एक ट्वीट को लेकर काफी हाइट लाइट हो चुकी है। ग्रेटा थनबर्ग अब हमारे देश में इस बड़ी कॉन्ट्रोवर्सी का हिस्सा बन चुकी है। आपको बता दें कि किसी भी बाहरी मुल्कों को किसी भी देश के आंतरिक मुद्दों पर बोलने की इजाज़त नहीं होती है। इसी बीच ग्रेटा थनबर्ग को भारत के मुद्दे पर बोलना काफी महंगा पड़ सकता है।
किसानों की आड़ में भारत को बदनाम करने के लिए जिस ग्लोबल एजेंडा का सहारा ग्रेटा थनबर्ग ले रही थी अब उसकी पोल पट्टी खुल चुकी है, सच्चाई अब सभी के सामने साफ-साफ देखी जा सकती है। ग्रेटा थनबर्ग के बारे में इतना सब जानने के बाद आपके मन में भी यह सवाल जरूर होगा कि आखिर कौन है ग्रेटा थनबर्ग? ग्रेटा के एक ट्वीट से भारत में चल रहे विवाद को जानने से पहले जान लीजिए आखिर कौन है ग्रेटा थनबर्ग Greta Thunberg ?
आखिर कौन है ग्रेटा थनबर्ग ?
आपको बता दें कि 18 वर्ष की आयु वाली ग्रेटा Greta Thunberg का जन्म स्वीडन में हुआ था उनके पिता अभिनेता है वहीं उनकी मां ओपेरा सिंगर है ग्रेटा बचपन से ही काफी प्रभावशाली व्यक्तित्व रखती है ग्रेटा ने अपनी 8 साल की उम्र में जलवायु परिवर्तन के बारे में सुना और इसे लेकर काम करना उसी उम्र में शुरू कर दिया था। पहली बार वह इसी कारनामे को लेकर चर्चा में आई। 11 साल की उम्र में ग्रेटा को मनोरोग ने घेर लिया लेकिन इसके बावजूद वे अपने एक नए हौसले के साथ पर्यावरण सुरक्षा के अपने मुद्दे पर डटी रही।
- ग्रेटर ने पर्यावरण सुरक्षा के लिए अपनीइस मुहिम की शुरुआत अपने घर से ही कि उन्होंने सबसे पहले अपने माता-पिता को मांसाहार खाने का त्याग कर आया और फ्लाइट यानी कि विमान से यात्रा न करने के लिए तैयार किया।
- बीते वर्ष 2018 में 15 साल की छोटी उम्र में ग्रेटर ने अपने स्कूल से छुट्टी ली और स्वीडन की सांसद के सामने पर्यावरण सुरक्षा के लिए एक तख्ती लेकर जिस पर बड़े अक्षरों में लिखा हुआ था स्कूल स्ट्राइक फॉर क्लाइमेट के साथ प्रदर्शन किया।
- ग्रेटर अपनी भाषाओं में न सिर्फ माहिर है बल्कि शब्दों के चयन में भी अच्छी समझ रखतीं हैं।
- अपने इसी हौसले और जज्बे के साथ 15 साल की कम उम्र में ग्रेटा बन गई थी अंतरराष्ट्रीय पर्यावरण कार्यकर्ता।
- इसके बाद वह जलवायु परिवर्तन को लेकर बड़ी-बड़ी कांफ्रेंस का हिस्सा बनने लगे जहां उन्हें सम्मान और तारीफों के साथ सराह जाने लगा।
- 2019 में ग्रेटा थनबर्ग के द्वारा यूएन में दिए गए एक भाषण की खूब तारीफें की गई जिसमें उन्होंने दुनिया के नेताओं को चेता के हुए पूछा था हाउ डेयर यू।
- ग्रेटा थनबर्ग कई बार दुनिया के बड़े नेताओं के साथ पर्यावरण के मुद्दों को लेकर बहस भी कर चुके हैं।
- ग्रेटा के कारनामों में एक यह भी बात शामिल है कि जब अमेरिकी देशों में ट्रंप की सरकार थी तो उन्होंने ग्रेटा को एक इंटरव्यू के लिए निमंत्रण भेजा था जिसको ग्रेट आने स्वीकार नहीं किया यह कहकर कि इस इंटरव्यू से उनके समय की बर्बादी होगी।
किसान आंदोलन में कैसे आया ग्रेटा का नाम?
भारत देश में किसान आंदोलन को लेकर मचे बवाल के बीच ग्रेटा थनबर्ग Greta Thunberg ने अपने ऑफिशियल ट्विटर हैंडल से एक ट्वीट करते हुए भारत के किसानों का समर्थन किया और कुछ डाक्यूमेंट्स भी शेयर किए उनके इसी ट्वीट के बाद हर जगह बवाल हो गया क्योंकि ग्रेटा भारत की नहीं है इस वजह से उन्हें कोई अधिकार नहीं जिससे वह भारत के आंतरिक मुद्दों पर बोल सकें।
बता दें कि ग्रेटा थनबर्ग ने गलती से अपने ट्वीट में भारत के गणतंत्र दिवस यानी कि 26 जनवरी को होने वाली हिंसा का ब्यौरा वाला डॉक्यूमेंट शेयर कर दिया जिस पर रातों-रात विवाद बढ़ने लगे इन सब विवादों के चलते ग्रेटा ऑफिशल टि्वटर अकाउंट से वह ट्वीट डिलीट भी कर दिया गया। आपको बता दें कि ग्रेटा ने अपने उस स्वीट में भारत सरकार पर किस तरह से दबाव बनाया जा सकता है और इसके लिए उन्होंने ट्विटर पर ही पूरी योजना भी बताएं जो एक बड़े ग्लोबल एजेंडा इस साज़िश का पर्दाफ़ाश करता है। इन सब से यह साफ पता चलता है कि किसान आंदोलन में अब सेंध लग चुकी है जिसका मकसद है भारत को बदनाम करना।
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