पंजाब और हरियाणा से लेकर आज पूरे भारत में जितना नाम किसान अंदोलन का गूँज रहा हैं उतना ही भारती किसान यूनियन के प्रवक्ता राकेश टिकैत का। जो कि इस यूनियन से जुड़े सभी व्यवहारिक और बड़े फैंसले राकेश टिकैत ही लेते हैं। राकैश टिकैत किसानों के हित में इस समय एक ऐसे कार्यकर्ता बनकर उभर रहें हैं जिनका नाम शायद ही हम में से किन्ही लोगों ने राजनीतिक मोर्चों में सुना हो। जिसके चलते लोगों के जहन में किसान आंदोलन के बीच उभरते इस नाम (राकेश टिकैत) को लेकर कई सवाल मौजूद हैं। जैसे…आखिर राकेश टिकैत कौन हैं? क्यों कर रहें हैं यह किसान आन्दोलन को इतना समर्थन? ऐसे ही बहुत से सवालों के जवाब जानने के लिए पढ़िए हमारा आज का ये आर्टिकल—
राकेश टिकैत कौन हैं?
बता दें कि राकेश टिकैत एक ऐसे व्यवहारिक नेता हैं जो कि धरना प्रदर्शनकारी किसानों के हित में अपना पक्ष रखते हैं। पिता राकेश सिंह टिकैत के बेटे राकेश टिकैत के हाथों में फिलहाल भारतीय किसान यूनियन संगठन की कमान मौजूद हैं। राकेश टिकैत मुजफ्फरनगर जनपद के सिसौसी गाँव के रहनेवाले हैं। जो कि 1992 में दिल्ली पुलिस के कॉन्सटेबल के पद पर कार्यरत थे। पर वहीं 1993-1994 में दिल्ली के लाल किले पर स्वर्गीय मंहेन्द्र सिंह टिकैत के नेतृत्व से चल रहे किसान आंदोलन को खत्म करने का दबदवा जैसे ही बढ़ा वैसे ही राकेश टिकैत ने अपनी नौकरी को त्यागपत्र दे दिया। जिसके बाद से ही वह किसानों के हित में समर्पित होकर कार्य करने लगे। जो कि इस समय भारतीय किसान यूनियन का प्रवक्ता बन एक बार फिर किसानों के हित में अपनी कार्यप्रणाली को बखूबी निभा रहे हैं।
कितनी हैं राकेश टिकैत की संपत्ति?
बता दें कि राकेश टिकैत पिछले 2 महीने से किसानों के धरना पदर्शन व आन्दोलन में समर्थन कर रहे हैं। वहीं सूत्रों के मुताबिक बता दें कि राकेश टिकैत की संपत्ति देश के 13 शहरों में मौजूद हैं। जिसमें मुजफ्फरमगर, गाजियाबाद, रुड़की, हरिव्दार, ललितपुर, खीरी, बदायूँ, बिजनौर से लेकर दिल्ली भी शामिल हैं। अनुमानों के हवाले से बता दें कि राकेश टिकैत तकरीबन कुल 80 करोड़ की संपत्ति के मालिक हैं।
राकेश टिकैत के भाषण—
राकेश टिकैत ने किसान आन्दोलन के दौरान अपने भाषणों के बल पर लोगों के दिलों में अपनी गहरी जगह बना ली हैं। उन्होंने कई बार अपने आन्दोलन के दौरान किसानें के हित को लेकर बड़े मुद्दे भी उठाए हैं। राकेश टिकैत ने अपने एक भाषण के दौरान कहा कि मोदी ने किसानों से कोई अपील नहीं की बल्कि मोदी ने इस आंदोलन को परजीवी बताया। देश के प्रधानमंत्री को एसा कहना शोभा नहीं देता। वहीं अगर यह आंदोलन परजीवी हैं तो देश को आजाद करना वाले महात्मा गाँधी, शहीद भगतसिह क्या परजीवी थे। आगे भाषण देते हुए राकेश टिकैट ने कहा कि यह सरासर आंदोलनकारियों का अपमान हैं। टिकैत के इन भाषणों ने युवा किसानों में प्रर्दशन के लिए ओर जोश भर दिया।
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