काले धागे का टोटका- काला धागा, जिसके बारे में हम हमेशा से ही सुनते आ रहे हैं कि यह हमें बुरी नजर से बचाने के साथ ही नकारात्मक ऊजाओं को हमसे दूर रखता हैं। जिसको हाथ,पैर से लेकर शरीर के कई अंगो में धारण करना आज के समय में फेशन का एस हिस्सा बन चुका हैं। जिसको हम अपने हाथों, पेरों व गले की खूबसूरती को बढ़ाने के लिए पहनते हैं। वहीं अगर हम बात करें इसके आपके जीवन में होने वाले कई चमत्कारी फायदों की तो बता दें कि हाथ, पेस से लेकर पेर के अँगूठे तक में काला धागा बाँधने के ऐसे कई लाभ में। जिनसे शायद आप और हम आज तक अनजान हैं। इन्ही लाभों के बारे में आज हम आपको बताने जा रहे हैं, तो आइए जानते हैं कि आखिर कैसे एक काला धागा बदल सकता हैं हमारी किस्मत-
ये है अचूक काले धागे का टोटका- kale dhage ka totka
हाथ में काला धागा बाँधने के फायदे—
हाथ में काला धागा बाँधने से नकारात्मक ऊर्जाएं हमसे दूर रहती हैं। वहीं यदि आपके हाथों में घन नबी ठहरती यानि कि आपके पास पैसे आते ही खर्च हो जाते हैं तो ऐसे में आप अपने हाथ में काला धागा जरूर पहनें। जो कि आप शनिवार को अपने हाथ में धारण कर सकते हैं ऐसा करने से माता लक्ष्मी की आपके जीवन में हमेशा बनी रहती हैं और आपको कभी धनधान्य की कमी नहीं होती।
पेर में काला धागा बाँधने के फायदे—
यदि आप अपने स्वास्थय से जुड़ी अनगिनत समस्याओं से हमेशा ही परेशान रहते हैं, साथ ही धन की किल्लत आपका पीछा नही छोड़ रही हैं, तो ऐसे में काला धागे को पेर में बाँधना इन सभी समस्याओं का हल बन सकता हैं। जिसके चलते आप मंगलवार के दिन हनुमान जी के पैरें के सिंदूर को काले धागे पर लगाकर अपने दाहिनें पेर में धारण करें। जिससे आपके स्वास्थय से लेकर धन संबंधी सभी समस्याएं धीर-धीरे खत्म हो जाएंगी।
पेर के अँगूठे में काला धागा बाँधने के फायदे—
यदि आपको अक्सर शरीर के अलग-अलग अंगो में दर्द की समस्या रहती हैं तो पे के अँगूठे में काला धागा बाँधना आपके लिए इस समस्या में बेहद असरदार उपाय के जैसे साबित हो सकता हैं। बता दें कि पेर के अंगूठे में काला धागा बाँधने हमें अपने शरीर के कई अंगो के दर्द से छुटकारा मिलता हैं। इतना ही नही हमारा मस्तिष्क भी शांत रहता हैं।
चमत्कारी काला धागा बनाने का तरीका—
घर पर ही चमत्कारी काला धागा बनाने के लिए आप मार्केट में मौजूद सूती या रेशमी काले धागे को ले सकते हैं। इसके बाद आप काले धागे को क्रोशिया आदि की मदद से गाँठो के रूप में बुनने के बाद गंगाजल में डाल दें और मंदिर में भगवान की प्रतिमा के सामनें रख दें। इसके बाद स्नान समेट पूजा-पाठ करके शुभ दिन के अनुसार इस धागे को धारण कर लें।
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