खबर लाजमी शायरी कॉर्नर
लगा,जैसे ज़िन्दगी थम सी गई है
वो रास्ते जो कभी गुलज़ार हुआ करते थे,
आज वीरान पड़े हैं,
लगा ,जैसे जिंदगी थम सी गई है।
वो कभी रौनक थी बाज़ारों मैं,
आज हलचल तक नहीं है,
लगा,जैसे जिंदगी थम सी गई है।
वो रोज़ सुबह घरों में दीपक का जलना,
आज दीपक बुझ रहे हैं,
लगा,जैसे जिंदगी थम सी गई है।
वो बच्चों का शाम होते ही घरों से निकलना,
आज पिंजड़ों मे कैद हैं,
लगा,जैसे जिंदगी थम सी गई है।
वो रिश्तेदारों का रोज़ घर में आना,
आज भाई-बहन दूर ख़ड़े हैं,
लगा,जैसे जिंदगी थम सी गई है।
ऐ ईशू, भगवान सुना तो था,
आज देख भी लिया,
लगा,जैसे जिंदगी अभी थमी नहीं है।
वो अपने बच्चों को देखते ही खुश हो जाना,
आज अस्पताल में दूसरों को खुशी दे रहे हैं,
लगा,जैसे जिंदगी अभी थमी नहीं है।
वो भण्डारा तो रोज़ हुआ करते थे,
आज घरों तक जा रहे हैं,
लगा,जैसे जिंदगी अभी थमी नहीं है।
वो उन्होंने थाने में तो बहुत मारा होगा,
आज देश बचाने के लिए मार रहे हैं,
लगा,जैसे जिंदगी अभी थमी नहीं है।
वो सो तो सब रहे होंगे अपने-अपने घरों में, लेकिन,
आज प्रधानमंत्री जाग रहे हैं,
लगा,जैसे जिंदगी कभी थमेगी नहीं।
ये खूबसूरत कविता लिखी गई है हमारे पाठक (“ईशू रायजादा”) के द्वारा ऐसे ही आप भी हमें अपनी खुद की लिखी हुई कोई कविता या फिर शायरी लिखकर भेज सकते, हमारी जीमेल आईडी पर khabarlazmi@gmail.com पसंद आने पर हम वह प्रकाशित जरुर करेंगे। इसी के साथ बनें रहे हमारे साथ और पढ़ते रहे ख़बर लाज़मी ( ख़बर वही जो है आपके लिए लाज़मी )
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